खाद्य अधिकारियों पर लाखों के पीडीएस चांवल का गबन करने वालों को संरक्षण का आरोप.. खाद्य विभाग में फिर जागा भ्रष्टाचार का भूत..


बिलासपुर- छत्तीसगढ़ में प्रदेश सरकार लोगों के लिए राशन दुकानों में कम दामों में अनाज उपलब्ध करा रही है। इसके पीछे सरकार की मंशा है कि प्रदेश में रहने गरीब और जरूरतमंद परिवार के लोग आर्थिक स्थिति कमजोर होने के बावजूद भूखे पेट न सोए। इस कल्याणकारी योजना को धरातल तक पहुंचाने की जिम्मेदारी खाद्य विभाग को दी गई है। लेकिन इस विभाग के जिम्मेदार अधिकारी ही निजी लाभ के चक्कर उन गरीब और जरूरतमंद लोगों का हक मारने वालों को संरक्षण दे रहे हैं।
मामला बिलासपुर जिले का है। जहां राशन दुकानों में लाखों रुपयों के सरकारी चांवल को बेचकर घोटाला करने वालों को विभाग के अधिकारी संरक्षण दे रहे हैं.. जिला कलेक्टर द्वारा ऐसे भ्रष्टाचारी दुकान संचालकों पर एफआईआर का आदेश देने के बाद भी मिलीभगत कर अपने निजी हित को पूरा करने का काम किया गया, वहीं इस लाखों रुपयों के भ्रष्टाचार में अपना हिस्सा भी सुनिश्चित कर लिया..
जिले के मस्तूरी विकासखंड की सुलौनी राशन दुकान में 300 क्विंटल चांवल गबन किया गया और तहसील सीपत की पौड़ी दुकान में 100 क्विंटल में भी यही कारनामा दोहराया गया.. जिसमें लाखों रुपयों का सरकारी अनाज व्यारे नारे कर दिया गया, इस घोटाले में संलिप्त संचालकों पर कलेक्टर ने अपराध दर्ज कराने का आदेश दिया, लेकिन अब तक इस मामले में अपराध नहीं किया जा सका है और शिकायतकर्ता ने सहायक खाद्य अधिकारी राजीव लोचन तिवारी पर भ्रष्टाचारी संचालकों से मिलीभगत कर 50% कमीशन से अपना निजी हित साधने का गंभीर आरोप लगाते हुए कलेक्टर से शिकायत भी की है..
वहीं मस्तूरी की खाद्य निरीक्षक ललिता शर्मा का नाम भी शिकायत में लिया गया है, 11 मार्च 2025 को कलेक्टर अवनीश शरण तक पहुंची इस शिकायत पर फिलहाल कोई कार्रवाई की जानकारी नहीं है..
लगातार खाद्य विभाग़ और उसके अधिकारियों की गलत कामों में संलिप्त और कारगुजारियां उबर कर आ रही हैं, जिले में राशन दुकानों में हुए भ्रष्टाचार की फाइल को ऐसे ही दबा दिया जाता है, जिसपर कार्रवाई होना तो दूर उसपर संज्ञान तक नहीं लिया जाता.. अब इस तरह के चांवल गबन से जुड़े घोटाले में जब कलेक्टर का आदेश का ही मखौल उड़ाया जा सकता है, तो इस पर लगाम कैसे लगाई जा सकती है ये समझ से परे है..? मस्तूरी के सुलौनी राशन दुकान में हुए भ्रष्टाचार की शिकायत खुद ग्रामीणों ने तत्कालीन एसडीएम अमित सिन्हा से की थी, जो वर्तमान में केंद्रीय मंत्री के अतिरिक्त निज सचिव हैं.. जिसके बाद एजेंसी के संचालक पर 300 क्विंटल चांवल का गबन करने के मामले में कलेक्टर कार्यालय में प्रस्ताव भेजा गया..

वहीं एक दूसरे मामले में उचित मूल्य की दुकान पौड़ी (सीपत) के संचालक पर 100 क्विंटल चांवल गबन की शिकायत पर एसडीएम मस्तूरी के संचालक पर गबन के आरोपी पर एफआईआर दर्ज कराने के प्रस्ताव को कलेक्टर तक पहुंचने नहीं देने और फाइल दबाकर रखने के एवज में सहायक खाद्य अधिकारी पर 50 प्रतिशत कमीशन लेने के आरोप लगे, जिसकी शिकायत कलेक्टर तक पहुंची है.. वहीं अब कलेक्टर इस मामले में जांच के बाद क्या कार्रवाई करते हैं ये तो समय बताएगा.. लेकिन इन घोटाले में संलिप्त संचालकों से अधिकारियों की मिलीभगत उजागर होना हो भ्रष्टाचार करने वालों को संरक्षण देना, बहुत गंभीर मामला है.. अब देखना होगा कि, सालों से दबे इन मामलों और अन्य दबे मामलों की गंभीरता से जांच कलेक्टर किस तरह से करवाते हैं और संलिप्त अधिकारियों पर कब तक कार्रवाई होती है..?



